भईया ये हमको भी समझ नही आ रहा हम ये कर क्या रहे हैं. लेकिन खयाल आया के आज तक साला जो सोच समझ के किया उसमे क्या कबाड़ लिया. सो करने मे क्या हर्ज़ है. वैसे भी हम देसी लोग करते पहले हैं और सोचते बाद में हैं. सोचते क्या खाक हैं बस समझने की कोशिश करते हैं की ये साला जो रायता फ़ैल गया है उसको समेटना कैसे है. लेकिन ये भी तो कभी कभी ही कर पते हैं अक्सर सब होता अपने आप ही है, सम्हल गया तो हम किये नहीं तो कोई न कोई बहाना तो निकल ही आयेगा. वैसे बहाने बनाने और लम्बी लम्बी हांकने में तो हम लोग सबसे आगे है ही.
वैसे अब तक की वार्तालाप अरे मतलब आलाप अरे मेरा मतलब...अच्छा छोडो तुम्हारी ही सही प्रलाप ही मान लेते हैं, तो इस प्रलाप से आइडिया तो लगा ही लिए होगे की ये बकैती करने वाला अपने यूपी का ही होगा.जी हा सही पकडे हैं, हम ठहरे इलाहाबादी वो भी ठेठ. गवांर भी कह सकते हो कहने में टैक्स थोड़े ही लगता है. वैसे भी बचपन के ताने सुन सुनके इस लफ्ज से आत्मीयता सी हो गयी है. हो गए न कंफ्यूज साला हिंदी उर्दू संस्कृत सब पेल दिए एक साथ. वैसे गुरु यही तो खास बात है इलाहाबादी लोगो की बाते भारी भारी करेंगे और होते पानी से पतले और हवा से हलके हैं. नहीं समझेव? समझ जाबो धीरे धीरे बस माथे पर जोर न दिओ, अमा दिमाग न चलाओ खरच होई जाइगा....सम्हाल के रखो.
तो गुरू हम ई कह रहे थे की हम ठहरे एक कामकाजी सरकारी मुलाजिम,भईया कंफ्यूज नहीं होइयेगा मुलाजिम मतलब सरकारी नौकर समझेव ना ? कोर्ट कचेहरी का कौनौ चक्कर नही है.तो हम इ कह रहे थे हैं हम भले ही गवाँर लेकिन हैं पढ़े लिखे....भाई डिग्री है हमारे पास वो भी जाने माने इंजीनियरिंग कॉलेज की. सरकारी बताना भूल गए थे जरा. मतलब ई है कि गुरू ज्यादा हलके में ना ले लेना.
अच्छा अब बोल ही देते हैं की हम इ जो शुरू कर रहे इ का बला है ?.....बकैती है.हा भाई बकैती ही है सही में बोल रहे हैं एकदम विद्या कसम. अब तुम बोलबो इ का बकैती है साला टाइम ख़राब न करो सही में बताओ. तो हम सही में ही बोल रहे हैं. हम ठहरे इंजीनियर वू भी सर्किट वाले.... अरे चलो इलेक्ट्रॉनिक्स ही सही मुन्ना भाई न समझेव और हम यहाँ फस गए लोहा लक्कड़ के बीच. नहीं समझेव अरे गलती से हमरा सिलेक्शन हुई गवा अब बन बैठे है मेनेजर मने एकदम फकैती. हाल अइसन है की पढ़े फारसी बेचे तेल इ देखो किस्मत का खेल. वैसे तेल बेचे मा ज्यादा फ़ायदा है लोहा बेचने के मुकाबले.
अमा बातो में न घुमाओ मुद्दे पे आओ यही कह रहे हो न आप...... ठीक है बता तो हम पहले ही दिए हैं के बकैती....अब तुम बोलबो की इ में नया का है ? सबै तो करत हैं हमउ तो किये हैं. गुरु लेकिन हम बताये अगर तुम अपने उ स्कूल कॉलेज के ज़माने से आगे निकल लिए हो तो हमका लगत है आज कल की दौड़ भाग में लोग बकैती करने की फुर्सत ही नही पाते अरे मतलब धंधे पानी दुकान दौरी आफिस नौकरी घर परिवार बीबी बच्चा मने फुर्सत कहा है आदमी को.
इसीलिए कह रहे...चलो काम की बात बोलते हैं हम ठहरे बकैत मतलब महा बकैत कमेन्टबाजी में नंबर एक. बचपन से ही लौन्डों की चुल्ल से वाकिफ हैं हम. साला हमारा काटा पानी भी न मांगे ऐसा जहर मारते थे, वैसे हैं हम थोड़े शाय किसम के लेकिन बस चार दिन के लिए. हम बताये तो है की आजकल सबै लोग बिजी चल रहे है इतना बिजी के मतलब एक ही घर में रहके भी एक दुसरे से व्हाट्सएप में बतियाते हैं. पडोसी और मुहल्ले वालो की तो बात ही छोड़ दो.
एक बात का जिक्र करना ही भूल गए आजकल लोग आटा छोड़ के डाटा के पीछे पड़े हैं बहुतै जरुरी हो गया है एकदम ऑक्सीजन के माफिक. मने उधर डाटा ख़तम इधर साँस रुकी इन्सान की जान तो मोबाइल में बसने लगी है रात दिन चिपके रहते हैं मोबाइल से.और इ सब संभव हो रहा है जिओ की वजह से....समझ गए ना ? नहीं समझे हो तो अमिताभजी समझा रहे है केबीसी में.... अरे मतलब कौन बनेगा करोडपती में, टीवी नहीं देखते क्या? वैसे भी टीवी तो अब मोबाइल में समां गयी है एक्स्ट्रा मसालो के साथ. नहीं समझे ? जिओ ने डाटा फ्री किया तो फेसबुक यूटूब ट्विटर स्काइप पे तो जैसे बाढ आ गयी. इन्टरनेट पे तो और भी बहुत कुछ उपलब्ध है , लोग सबकी पसन्द और सुविधा के अनुसार मनोरंजन के अलावा ज्ञान भी बढा रहे हैं. अब तो हर कोई ज्ञानी हो गया है हवा हवाई अब नहीं चलती.
एक बात का जिक्र करना ही भूल गए आजकल लोग आटा छोड़ के डाटा के पीछे पड़े हैं बहुतै जरुरी हो गया है एकदम ऑक्सीजन के माफिक. मने उधर डाटा ख़तम इधर साँस रुकी इन्सान की जान तो मोबाइल में बसने लगी है रात दिन चिपके रहते हैं मोबाइल से.और इ सब संभव हो रहा है जिओ की वजह से....समझ गए ना ? नहीं समझे हो तो अमिताभजी समझा रहे है केबीसी में.... अरे मतलब कौन बनेगा करोडपती में, टीवी नहीं देखते क्या? वैसे भी टीवी तो अब मोबाइल में समां गयी है एक्स्ट्रा मसालो के साथ. नहीं समझे ? जिओ ने डाटा फ्री किया तो फेसबुक यूटूब ट्विटर स्काइप पे तो जैसे बाढ आ गयी. इन्टरनेट पे तो और भी बहुत कुछ उपलब्ध है , लोग सबकी पसन्द और सुविधा के अनुसार मनोरंजन के अलावा ज्ञान भी बढा रहे हैं. अब तो हर कोई ज्ञानी हो गया है हवा हवाई अब नहीं चलती.
इ है डिजिटल इंडिया मने जमाना कहा से कहा पहुच गया औए आपको हवा भी नही लगी. एक और चीज बदली है जमाना सुपरफास्ट हो गया है सब जल्दी में है मने एकदम क्विक अमेजोन और फ्लिप्कार्ट की सेम डे डिलीवरी के जैसे मने मद्रास से दिल्ली बोलो या बंगलौर से कलकत्ता सुबह आर्डर करो आइटम शाम में घर पे. दुकान दरवाजे पे आ गयी है सूई से लेके हवाई जहाज सब घर बैठे मिलेगा. अच्छा कभी सोचे रहे की उ गोबर की उपली और कंडा दुसरे जिला से मंगाओगे ? आजकल अमेज़न पे बिकता है ग्लोबल सप्लाई है.ग्लोबल मने समझ गए हैं ना ज़माना इतनी तेजी से भाग रहा है के आज कल लोग शोपिंग करने विलायत जाने लगे हैं और जो नही जा पाते उनके लिए अमेज़न फ्लिप्कार्ट और स्नेपडील है.
मने पैसा फैसिलिटी सब बढ़ गया लेकिन चैन सुकून और टाइम की बहुतै किल्लत हो गयी है किल्लत तो समझते होंगे एक्कयूट शोर्टेज मने महीने के अंतिम दिनों में नौकारीपेसा लोगो की आर्थिक हालत के जैसे. जुगाड़ गुरु इसका भी धूढ लिया है लोगो ने इ एम् आई और क्रेडिट कार्ड है इसका इलाज मने अगर चीज औकात के बाहर की भी है तो लोन लेलो लेकिन जब तक जिओ उधार लेके घी पिओ.
बकैती तो चलती रहती है सो कड़ियों में जारी रखेंगे.हम बस खाली फ़ोकट टाइम में कुछ छापते रहेंगे अपने को व्यस्त रखने के लिए और आपसे कनेक्ट रहने के लिए. आप ज्ञानी बने व्यस्त रहे मस्त रहे और बकैती करते रहे.आगे की पोस्ट में किसी विषय विशेष मने स्पेसिफिक इश्यू पर बकैती करेंगे और अड्डेबाजी जारी रखेंगे.
आपका एक बकैत मित्र
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