Monday, July 29, 2019

आधे इन्जीनीयर

आधा  मतलब  हाफ....हाफ  तो  समझते ही  होंगे । तो  आज  बात  करेंगे  अपनी  बिरादरी  की  माने  डिग्री  धारी  इंजीनियरिंग  ग्रेजुएट्स  की।

इंजीनियर तो  ठीक  है  लेकिन  ये  आधा  क्यों ? हाफ  गर्लफ्रेंड  फिल्म  देखे  हैं  न ?  उसी  के  माफिक  लेकिन  किस्सा  थोड़ा  उल्टा  है  इस  बार........  उसमे  थी  नहीं  लेकिन  फीलिंग  पूरी थी  इधर  डिग्री हांथ में होती है  लेकिन  फीलिंग  नहीं , माने  कॉलेज का पढ़ा लिखा सब गुड गोबर हो गया और वो टेक्नोक्रेट बनना  अधूरी  कहानी। क्या कहा  आपने ....ये सच नही है ? हम बताये....भले ही आप आई आई टी से  हो या यूपीटूयू से कोई फर्क नही पड़ता.... कटा सब का है। अफसोस जनक तो है लेकिन सत्य यही है। आपको मैकेनिकल की डिग्री वाला टीसीएस में इलेक्ट्रिकल वाला बैंक में या फिर सिविल इंजिनियर्स सिविल सर्विस में मिल जायेंगे  लेकिन इंजीनियरिंग कही नही है माने आये थे हरि भजन को ओटन लगे कपास। ऐसा भी नही है हालत बुरी है झंडा हम इंजीनियर्स सभी जगह गाड रहे है, सिविल सर्विस , मैनेजमेंट, बैंकिंग, फाइनेंस तो पुराना था ही अब तो स्पोर्टस, फैशन, एक्टिंग, डाइरेक्टिंग और म्यूजिक सब जगह मिलेंगे । लेकिन ये हालत हुयी कैसे ? आधे कहेंगे इट्स अबाउट फालोइंग योर पैशन....अमा लेकिन एडमिशन के पहले इंजीनियरिंग ही तो था ना ...?

लेकिन वक़्त के साथ पैशन और कैरियर की जद्दोजहद में पलडा कैरियर के भारी हो गया।

भारतीय अर्थव्यस्था जो कभी कृषि प्रधान थी अभी अब सेवा क्षेत्र की और केन्द्रित हो रही है, इसमें हम इंजीनियर्स का बहुत योगदान है।

अधिकांश   मने  बहुतायत  में  अपने  बिरादरी  के  लोगो  का  हाल  ऐसा  ही  है। एक  तो  बेमन  से  कॉलेज  की  पढाई  से  आधा  पौने  कुछ  सीखे  फिर  सोचा  सब  यही  कर  लिया  तो  आगे  क्या  करेंगे  सो  पास  होने  भर  का  जुगाड़  बनाते  रहे । परीक्षा  से  पहले  जगराते  का  प्रचलन  तो  आप  जानते  ही  होंगे , गुरु  वैसे  बॉयज  हॉस्टल  में  रात  कभी  नहीं  होती  शाम  के  बाद  सीधे  सुबह  हो  जाती  है । शाम  को  सुबह  करने  का  एक  से  एक  इंतज़ाम  तो  होता  ही  है  हॉस्टल  में, माने पढाई लिखाई के अलावा सारा इंतजाम रहता है।

जब मनचाही ड्रीम जॉब नही मिली तो दूसरों के सपनों पे डाल दिया डाल दिया डाका आइ ए एस से ले के चपरासी तक कि नौकरी कर डालते है। उसके आगे तो आजकल कला और साहित्य को भी नही बक्सा कमबख्ततो ने आजकल आधे से ज्यादा नॉवेलिस्ट इंजीनियरिंग डिग्री धारी है. राजनीति की तो बात नही करिये चचा नीतीश से लेके केजरीवाल अंकल सब इंजीनीयर ठहरे। स्पोर्ट्स मे भी कई नाम मिल जाएंगे।

सो अगर आप भी आधे इंजीनियर हैं तो गर्व करे नासा ना सही देश की आशा भी तो आप ही हैं। जहाँ रहे मस्त रहें और कर्त्तव्य मार्ग पर डटे रहे ।

Thursday, October 26, 2017

मुबारक हो सोफिया....लेकिन ये चल क्या रहा है ?

भइया ये तो हम भी सुने हैं कि बहुत तरक्की हो रही है सब तरफ, साइंटिस्ट लोग मेहनत करे पड़े हैं. एक से एक अजूबे निकल के आ रहे हैं. पर हम आज बात कर रहे है रोबोट की, रोबोट मतलब है तो मशीन लेकिन कारनामे इंसानों जैसे अमा कुछ काम तो इंसानों से भी बेहतर.  दिखने में अक्सर इंसानों जैसे लेकिन आखिर  है तो मशीन ना... वो भी इंसानों का बनाया हुआ मने गुलाम.

आजकल का रोबोट लोग तो स्मार्ट भी बहुत है मलतब आरटीफिसियल इन्टेलीजेंस का नायाब नमूना, मने सब समझता है और सोच भी सकता है बोलता तो पहले भी था रट्टू तोते जैसा. होता अक्सर ऐसा है कि रोबोट लोग जो होता है न गुलाम रहता है और आप तो जानते ही होंगे केतना सब जुल्म होता है गुलामो पे,  बहुत सारा पिक्चर में दिखाया है.  अब आप ही सोचो इ सब दबा कुचला मतलब दलित लोग को अगर बराबरी का अधिकार मिल गया तो क्या हाल करेगा अपने मालिकों का.आप अंग्रेजी पिक्चर अरे हमारा मतलब हालीवुड मूवीज में तो देखे ही होगे कैसे रोबोट लोग सत्यानाश कर रहे है इंसानों का अगर इनकी खोपड़ी सटक गयी तो.


लेकिन गुरु अभी खबर आई सऊदी अरब से....वहा कि सरकार मने गौरमेंट ने एक रोबोट को देश की नागरिकता दी है मतलब इन्सान कि बराबरी. आप बोलोगे मजाक कर रहे हो ? अमेरिका इंग्लैंड जापान कोरिया हो सकता है लेकिन सऊदी अरब से ये उम्मीद ना थी. उम्मीद तो हमको भी ना थी मतलब वो देश जहा औरते गाड़ी नहीं चला सकती और बाहर नही निकल सकती वहा हो रहा है ये सब ? लेकिन गुरु खबर पक्की है मतलब ऐसा हो गया है, और वो भाग्यशाली रोबोट मने मोहतरमा चलो  दिखने में ही सही का नाम है "सोफिया"... हम बोले थे ना नाम भी तो वैसा ही है सो मोहतरमा ही बोलते हैं. मोहतरमा 'सोफिया' एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता युक्त इंसान की तरह दिखने वाली रोबोट है जो हांगकांग स्थित कंपनी हैन्सन रोबोटिक्स द्वारा विकसित की गई है।

25 अक्टूबर को रियाद में एक बिजनेस इवेंट के दौरान जब मोहतरमा मने सोफिया जी को सऊदी अरब की नागरिकता दी गयी तो उसने थैंक यू कहकर सऊदी अरब की सल्तनत को शुक्रिया अदा किया अरे सचमुच में थैंक यू बोला.अब इस क्रन्तिकारी वाकये पे एक पोस्ट तो बनती ही है सो छाप दिए. सनद रहे कि सऊदी अरब ने आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने के लिए  मोहतरमा को नागरिकता दी है. हेसन रोबोटिक्स द्वारा बनाए गए इस रोबोट की सबसे खास बात यह है कि यह आपके दैनिक कामों के अलावा सवालों के जवाब भी देता है. अपने कैमेरा और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के बलबुते ये मोहतरमा आपको पहचान कर आपकी आंखो मे आंखे डालकर बाते कर सकती हैं. और तो और आपसे बतिया के अपना ज्ञान भी बढा सकती है और बाद मे आपकी क्लास भी लगा सकती हैं.

मतलब यू कैन टॉक टु हर.....एकदम पर्सनल कम्पैनियन के जैसे. देखा जाये तो चीज काम की ही है. आजकल भीड़ बढ़ रही है लेकिन आदमी अकेला होता जा रहा है. सो एक कामकाजी संगिनी मिल जाये तो क्या बात है वो भी दिखने मे एकदम आंद्रे हेपबर्न... मतलब एकदम गोरी चिट्टी अंग्रेजी मेम. और अगर मिजाज मिल गये तो जीवन भर का साथ. वैसे गुरु अपने हिंदुस्तान के लिये ये बढिया आइट्म है सारे के सारे 36 गुन मिला लो अपने हिसाब से. गुरु नई बात नही है आजकल सब हो रहा है इस जमाने मे लोगो की ओरिएंटेसन का कुछ अता पता नही है. वैसे भी भगवान रामचंद्र जी कह ही गये  हैं माता सिया से ऐसा कल्युग आयेगा...... तो गुरु ये तो है हि कल्युग घोर कल्युग.

वैसे गुरु अब ये देखना है कि सोफिया को क्या बिना बुर्के के अकेले घूमने और गैर मर्दो से बतियाने की आजादी मिलेगी क्या ?

ये है क्या ?

भईया ये हमको भी समझ नही आ रहा हम ये कर क्या रहे हैं. लेकिन खयाल आया के आज तक साला जो सोच समझ के किया उसमे क्या कबाड़ लिया. सो करने मे क्या हर्ज़ है. वैसे भी हम देसी लोग करते पहले हैं और सोचते बाद में हैं. सोचते क्या खाक हैं बस समझने की कोशिश करते हैं की ये साला जो रायता फ़ैल गया है उसको समेटना कैसे है. लेकिन ये भी तो कभी कभी ही कर पते हैं अक्सर सब होता अपने आप ही है, सम्हल गया तो हम किये नहीं तो कोई न कोई बहाना तो निकल ही आयेगा. वैसे बहाने बनाने और लम्बी लम्बी हांकने में तो हम लोग सबसे आगे है ही.

वैसे अब तक की वार्तालाप अरे मतलब आलाप अरे मेरा मतलब...अच्छा छोडो तुम्हारी ही सही प्रलाप ही मान लेते हैं, तो इस प्रलाप से आइडिया तो लगा ही लिए होगे की ये बकैती करने वाला अपने यूपी का ही होगा.जी हा सही पकडे हैं, हम ठहरे इलाहाबादी वो भी ठेठ. गवांर भी कह सकते हो कहने में टैक्स थोड़े ही लगता है. वैसे भी बचपन के ताने सुन सुनके इस लफ्ज से आत्मीयता सी हो गयी है. हो गए न कंफ्यूज साला हिंदी उर्दू संस्कृत सब पेल दिए एक साथ. वैसे गुरु यही तो खास बात है इलाहाबादी लोगो की बाते भारी भारी करेंगे और होते पानी से पतले और हवा से हलके हैं. नहीं समझेव? समझ जाबो धीरे धीरे बस माथे पर जोर न दिओ, अमा दिमाग न चलाओ खरच होई जाइगा....सम्हाल के रखो.

तो गुरू हम ई कह रहे थे  की हम ठहरे एक कामकाजी सरकारी मुलाजिम,भईया कंफ्यूज नहीं होइयेगा मुलाजिम मतलब सरकारी नौकर समझेव ना ? कोर्ट कचेहरी का कौनौ चक्कर नही है.तो हम इ कह रहे थे हैं हम भले ही गवाँर लेकिन हैं पढ़े लिखे....भाई डिग्री है हमारे पास वो भी जाने माने इंजीनियरिंग कॉलेज की. सरकारी बताना भूल गए थे जरा. मतलब ई है कि गुरू ज्यादा हलके में ना ले लेना.

अच्छा अब बोल ही देते हैं की हम इ जो शुरू कर रहे इ का बला है ?.....बकैती है.हा भाई बकैती ही है सही में बोल रहे हैं एकदम विद्या कसम. अब तुम बोलबो इ का बकैती है साला टाइम ख़राब न करो सही में बताओ. तो हम सही में ही बोल रहे हैं. हम ठहरे इंजीनियर वू भी सर्किट वाले.... अरे चलो इलेक्ट्रॉनिक्स ही सही मुन्ना भाई न समझेव और हम यहाँ फस गए लोहा लक्कड़ के बीच. नहीं समझेव अरे गलती से हमरा सिलेक्शन हुई गवा अब बन बैठे है मेनेजर मने एकदम फकैती. हाल अइसन है की पढ़े फारसी बेचे तेल इ देखो किस्मत का खेल. वैसे तेल बेचे मा ज्यादा फ़ायदा है लोहा बेचने के मुकाबले.

अमा बातो में न घुमाओ मुद्दे पे आओ यही कह रहे हो न आप...... ठीक है बता तो हम पहले ही दिए हैं के बकैती....अब तुम बोलबो की इ में नया का है ? सबै तो करत हैं हमउ तो किये हैं. गुरु लेकिन हम बताये अगर तुम अपने उ स्कूल कॉलेज के ज़माने से आगे निकल लिए हो तो हमका लगत है आज कल की दौड़ भाग में लोग बकैती करने की फुर्सत ही नही पाते अरे मतलब धंधे पानी दुकान दौरी आफिस नौकरी घर परिवार बीबी बच्चा मने फुर्सत कहा है आदमी को.

इसीलिए कह रहे...चलो काम की बात बोलते हैं हम ठहरे बकैत मतलब महा बकैत कमेन्टबाजी में नंबर एक. बचपन से ही लौन्डों की चुल्ल से वाकिफ हैं हम. साला हमारा काटा पानी भी न मांगे ऐसा जहर मारते थे, वैसे हैं हम थोड़े शाय किसम के लेकिन बस चार दिन के लिए. हम बताये तो है की आजकल सबै लोग बिजी चल रहे है इतना बिजी के मतलब एक ही घर में रहके भी एक दुसरे से व्हाट्सएप में बतियाते हैं. पडोसी और मुहल्ले वालो की तो बात ही छोड़ दो. 

एक बात का जिक्र करना ही भूल गए आजकल लोग आटा छोड़ के डाटा के पीछे पड़े हैं बहुतै जरुरी हो गया है एकदम ऑक्सीजन के माफिक. मने उधर डाटा ख़तम इधर साँस रुकी इन्सान की जान तो मोबाइल में बसने लगी है रात दिन चिपके रहते हैं मोबाइल से.और इ सब संभव हो रहा है जिओ की वजह से....समझ गए ना ? नहीं समझे हो तो अमिताभजी समझा रहे है केबीसी में.... अरे मतलब कौन बनेगा करोडपती में, टीवी नहीं देखते क्या? वैसे भी टीवी तो अब मोबाइल में समां गयी है एक्स्ट्रा मसालो के साथ. नहीं समझे ? जिओ ने डाटा फ्री किया तो फेसबुक यूटूब ट्विटर स्काइप पे तो जैसे बाढ आ गयी. इन्टरनेट पे तो और भी बहुत कुछ उपलब्ध है , लोग सबकी पसन्द और सुविधा के अनुसार मनोरंजन के अलावा ज्ञान भी बढा रहे हैं. अब तो हर कोई ज्ञानी हो गया है हवा हवाई अब नहीं चलती.

इ है डिजिटल इंडिया मने जमाना कहा से कहा पहुच गया औए आपको हवा भी नही लगी. एक और चीज बदली है जमाना सुपरफास्ट हो गया है सब जल्दी में है मने एकदम क्विक अमेजोन और फ्लिप्कार्ट की सेम डे डिलीवरी के जैसे मने मद्रास से दिल्ली बोलो या बंगलौर से कलकत्ता सुबह आर्डर करो आइटम शाम में घर पे. दुकान दरवाजे पे आ गयी है सूई से लेके हवाई जहाज सब घर बैठे मिलेगा. अच्छा कभी सोचे रहे की उ गोबर की उपली और कंडा दुसरे जिला से मंगाओगे ? आजकल अमेज़न पे बिकता है ग्लोबल सप्लाई है.ग्लोबल मने समझ गए हैं ना ज़माना इतनी तेजी से भाग रहा है के आज कल लोग शोपिंग करने विलायत जाने लगे हैं और जो नही जा पाते उनके लिए अमेज़न फ्लिप्कार्ट और स्नेपडील है.

मने पैसा फैसिलिटी सब बढ़ गया लेकिन चैन सुकून और टाइम की बहुतै किल्लत हो गयी है किल्लत तो समझते होंगे एक्कयूट शोर्टेज मने महीने के अंतिम दिनों में नौकारीपेसा लोगो की आर्थिक हालत के जैसे. जुगाड़ गुरु इसका भी धूढ लिया है लोगो ने इ एम् आई और क्रेडिट कार्ड है इसका इलाज मने अगर चीज औकात के बाहर की भी है तो लोन लेलो लेकिन जब तक जिओ उधार लेके घी पिओ. बकैती तो चलती रहती है सो कड़ियों में जारी रखेंगे.हम बस खाली फ़ोकट टाइम में कुछ छापते रहेंगे अपने को व्यस्त रखने के लिए और आपसे कनेक्ट रहने के लिए. आप ज्ञानी बने व्यस्त रहे मस्त रहे और बकैती करते रहे.आगे की पोस्ट में किसी विषय विशेष मने स्पेसिफिक इश्यू पर बकैती करेंगे और अड्डेबाजी जारी रखेंगे.

आपका एक बकैत मित्र